मॉर्मन प्यारी आत्म-आनंद में लिप्त है, मेज के नीचे अपने पैर फैला रही है। उसकी उंगलियां उसके मीठे स्थान पर नृत्य करती हैं, जिससे उसके भीतर एक उग्र जुनून प्रज्वलित होता है। वह न केवल इसकी खातिर रगड़ रही है, बल्कि अपनी खुद की प्रेम सुरंग का पता लगा रही है।